डरा धमका के तुम हमसे वफ़ा करने को कहते हो

'विकास का कोई मात्रक होता है क्या?' केवल इतना सुनना अटपटा नहीं लगता? बिल्कुल लगता है। जबतक की उपरोक्त सवाल के साथ संर्दभ स्पष्ट ना हो! मुझे याद नहीं की चंपारण सत्याग्रह के दौरान कितने लोग मरे थे, पर सौवें वर्षगांठ के समय छः किसानों की हत्या एक कायर और हत्यारे विकास का मात्रक​ जरूर लगता है!!!
राजनैतिक​ जरूरतो के अनुसार कही जुनैद और कही रामनाथ मर जाए,,,,सरकारें इसे हादसा करार दे दें। हम भी इसे हादसा स्वीकार कर लें,,, ऐसा होना एक असंवेदनशील विकास का मात्रक प्रतीत होता है।
समझना होगा, किसी समूह ने बड़े चलाकी से एक फौज तैयार किया है जिसका काम है की गांव, गली, शहर, चौराहे हर जगह लोगो को डराये और आवश्यकता​ हो तो मार भी दें। और इस काम के लिए उन्हें कई हथियार दिये गये हैं जैसे 'हिन्दू तलवार', 'मुसलमान फरसा', 'गौ भल्ला', 'दलित छुरी', 'महादलित छुरी', 'ब्राह्मण बम' इत्यादि और इन सबसे​ कोई बच जाए तो उसे मारने के लिए इन्हें ब्रह्मास्त्र भी है जिसका नाम है 'राष्ट्रवादी परमाणु बम'। जिसका उद्देश्य है की जनता लगातार ये कहती रहे की सब ठीक है सब अच्छा है देश बहुत तेजी से विकास कर रहा है। बिल्कुल वैसे जैसे राहत चचा ने शेर कहा​....
हम अपने शहर में मेहफूज़ भी हैं खुश भी हैं,
ये सच नही है......मगर ऐतबार करना है.....
यकीन मानिए 'कोई' है जो हर जगह है, जब भी आप सरकार या ब्यवस्था के विरुद्ध कुछ बोलते हैं तो वो आपको उपरोक्त हथियारों के सहारे चुप करवा देता है। सहारनपुर, JNU, DU, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा इत्यादि जगहों पर हो रहे अपराध इसके बृहद रुप है।
जाहिर है ये लोग जो ऐसा कर रहे हैं वो विदेश से तो आए नहीं है, हम में से ही है। और ऐसे में कम से कम अपने ईकाई स्तर अपने से जुड़े लोगों को ये बात समझाइये हिंसा का रास्ता इन्हें केवल अपराधी​ और हत्यारा बना रहा है, और जो ऐसा करवा रहा है वो दूर कुर्सी पर बैठे मजे ले रहा है। वर्ना हम भी (हम में से कोई) कभी ऐसे भीड़ के हाथों कब, कहां और क्यों मारे जाएंगे पता नहीं चलेगा।
जरुरी है की हम इस खेल को समझें और कम से कम ईकाई स्तर पर अपने सगे-संबंधियों की हत्या होने से या उन्हें हत्यारा होने से बचाएं!

 (शिर्षक मुन्नवर राणा साहब की गजल से)

Comments

  1. Bahut khub likhe h sir Jee yahi hakkikat h

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  2. पहले, पहल आवश्यक है ।
    असीम शुभकामनाएं ।

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  4. शानदार तरीके से अपने विषय को अभीव्यक्त किया आदर्श जी।

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  5. Re Dyaaki!! k likh gya yo tu..!!
    Merti, aakhar ma sujhayoda Samadhaan badhiya laagya!!

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