सुभाष चन्द्र बोस एक महान प्रेमी भी थे

क्रांति और प्रेम दोनों एक साथ संभव है. मेंरा निजी मानना तो यह है की प्रेम के वगैर क्रांति मुक़म्मल हीं नहीं हो सकती है. नेता जी सुभाष चन्द्र बोस एक महान नेता के साथ-साथ एक महान प्रेमी भी थे.

कुछ लोग जन्म से हीं हसीन और होनहार होते हैं. नेता जी भी कुछ ऐसे हीं थे. One of most eligible bachelor of Cuttack. 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के प्रतिष्ठित परिवार में नेता जी का जन्म हुआ. शुरूआत से हीं नेता जी स्वतंत्र विचार के व्यक्ति थे. परिवार के काफी दबाव के बाद भी उन्होंने शादी करने में कोई दिलचस्पी नहीं रखी. Bhavya Katyal और Akash Kumar Singh ने Campus Chronicle में छपे अपने एक लेख में लिखा है की Civil Services Exams में All India Rank 4 हासिल करने वाले नेता जी नियूक्ति के कुछ हीं महींनो बाद नौकरी को विदा कह दिया. और चल पड़े जंग--आजादी के रास्ते पर.

1934 की बात है, नेता जी Austria में थे. तब उनकी तबियत खाराब चल रही थी. मसलन Doctor ने उन्हें आराम करने कि सलाह दी. इस मौके का फायदा उठाते हुए नेता जी ने अपनी जिवनी लिखने का निश्चय किया. Vienna में रह रहे भारतीय मूल के Dr. Mathur से इस मुद्दे पर सलाह लिया और रिक्वेस्ट किया कि वे उन्हें को एक typist ढ़ुढ़ने में मदद करें. इस काम के लिए Dr. Mathur ने उन्हें Emilie Schenkl से मिलवाया. यहीं वो कमाल का समय था.... When commander got the emotional Kick. युध्द और आंदोलन की व्यस्तताओं से दूर नेता जी ने Emilie के साथ खुबसूरत समय गुजारा. और फिर ऐसा हुआ की They fall in love with each other.

Emilie नेता जी कि एक मजबूत Emotional Support बन गई. अपने एक पत्र में नेता जी लिखतें हैं कि हम दुनिया के दो अलग हिस्से से हैं, हमारी बोली, भाषा, संस्कृती और इतिहास लगभग सबकुछ आलग है. पर एक समय मे मैं इन सभी भिन्नताओं को भुल गया. I have loved the women in you, the soul in you.”

1936 में नेता जी Badgastein में थे. जहा से उन्होनें पत्र लिखकर Emilie से कुछ वक्त साथ रहने की गुजारिश की “Please ask your parents if they will allow you to be away from your home for one week or so.”

लगभग तीन साल तक एक दुसरे को जानने को बाद नेता जी ने 1937 में Badgestein के एक Resort में चुपके से Emilie के साथ शादी कर लिया. शादी के लगभग पांच वर्ष बाद Emilie  ने एक बेटी को जन्म दिया. दोनों ने जिसका नाम अनितारखा. फरवरी 1943 में जब अनिता महज 2 महिनें कि हीं थी. तब नेता जी और Emilie आखिरी बार मिल सके.

तब Autria से निकलने में नेता जी के सामने कई चुनौतियां थीं. जैसे Emilie से दुर होना और अपने मुल्क में अंग्रेजों के जेल का सामना. मातृभूमि लौटने से पहले Emilie को लिखे पत्र में उन्होंने कहा था...  “Even an iceberg sometimes melts… and so it is with me now… I have already sold myself to my first love, my country, to whom I have to return”.

एक दुसरे पत्र में नेता जी लिखतें हैं... “I do not know what the future has in store for me. Maybe, I shall spend my life in prison, maybe, I shall be shot or hanged. But whatever happens, I shall think of you and convey my gratitude to you in silence for your love for me. Maybe I shall never see you again. Maybe I shall not be able to write to you again when I am back. But believe me, you will always live in my heart, in my thoughts and in my dreams. If fate should thus separate us in this life — I shall long for you in my next life”.

नेता जी के गुम होने के बाद Emilie की जिन्दगी कई चुनौतियों से घिर गई. बेटी कि परवरिश और घर का खर्चा चलाने के लिए Postal Department में एक छोटी सी नौकरी Join किया. अनिता अनुसार उनकी मां Emilie ने नेता जी के साथ अपने रिस्ते को कभी Disclose नहीं किया. वे बताती है कि मां अकसर शाम को रेडिया पर सामाचार सुना करती थी, तभी एक दिन अचानक से News Reader ने कहा की Subhash Chandra Bose of India has died in a plane accident in Taipei”.

नेता जी ने अपने और Emilie के रिस्ते के बारे में अपने भाई शरत चंन्द्र बोस को बता दिया था. भारत को आजादी मिलने के एक वर्ष बाद शरत ने अपने परिवार के साथ Vienna में Emilie से मुलाकात किया. बाद में नेहरू सरकार ने Emilie के परिवार को हर महिने आर्थीक मदद दिए जाने का इंतजाम भी कराया. अनिता अब जर्मनी के University of Augsburg में Professor हैं. कई बार भारत आती रही हैं.

नेता जी और Emilie के प्रेम कहानी और करीब से जानने के लिए आप “A true love story of Emilie and subhash” पढ़ सकते हैं. जिसे शरत चंन्द्र बोस कि बहू पुर्व सासंद कृष्णा बोस ने लिखा हैं.

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